~ न जाने क्यों लगा अच्छा - शेर ~
हाँ, वो ही दर-ब-दर, कूँचा-बसर,
दुनिया से बे-परवाह ।
वो फ़ाक़ा-मस्त, मस्ताना,
न जाने क्यों लगा अच्छा ।।
मुश्किल अल्फ़ाज़:- दर-ब-दर = बे-घर-बार, बे-आसरा, Homeless; कूँचा-बसर = गलियों, सड़कों पर घूमने वाला, Street-wanderer; फ़ाक़ा-मस्त = भूखा रहकर भी ख़ुश रहने वाला, Happy without Food.
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