Monday, September 16, 2019

न जाने क्यों लगा अच्छा

~     न जाने क्यों लगा अच्छा - शेर    ~

हाँ, वो ही दर-ब-दर, कूँचा-बसर,
दुनिया से बे-परवाह ।

वो फ़ाक़ा-मस्त, मस्ताना,
न जाने क्यों लगा अच्छा ।।

दुनियादारी

मुश्किल अल्फ़ाज़:- दर-ब-दर = बे-घर-बार, बे-आसरा, Homeless; कूँचा-बसर = गलियों, सड़कों पर घूमने वाला, Street-wanderer; फ़ाक़ा-मस्त = भूखा रहकर भी ख़ुश रहने वाला, Happy without Food.

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