~ न जाने क्यों लगा अच्छा - शेर ~
तुम बिन भी बादल घिरते हैं
और बुरा क्या होगा इससे
तुम बिन भी सावन आता है,
और बुरा क्या होगा इससे
कोसता हूँ बारिश को जितना,
और निगोड़ी होती है
आग लगाती है ये बारिश,
और बुरा क्या होगा इससे
Masroof Fursaten (مصروف فرصتیں) is the Title for my Literary Work.
It consists of Love & Revolution in the form of my Ghazals, Nazms, Hindi Poems, Songs and so on.
इक इश्क़ था हमारा, इक याद थी तुम्हारी...
मसरूफ़ थीं बहुत वो, जिन फ़ुरसतोंं से गुज़रे...