Tuesday, November 12, 2019

सर्कस

~     सर्कस     ~

तुम्हें हूँ अब भी मुन्तज़िर* तेरा,
हूँ दिल से आज भी बेबस
है दिल में आज भी पैकाँ*
है अब भी ज़िन्दगी सर्कस ।


मुश्किल अल्फ़ाज़:- मुन्तज़िर = प्रतीक्षारत, Expecting with Impatience; पैकाँ = तीर की नोक, Spike of Arrow;

Friday, September 27, 2019

तुम बिन

~     न जाने क्यों लगा अच्छा - शेर    ~

तुम बिन भी बादल घिरते हैं
और बुरा क्या होगा इससे

तुम बिन भी सावन आता है,
और बुरा क्या होगा इससे

कोसता हूँ बारिश को जितना,
और निगोड़ी होती है

आग लगाती है ये बारिश,
और बुरा क्या होगा इससे

Monday, September 16, 2019

न जाने क्यों लगा अच्छा

~     न जाने क्यों लगा अच्छा - शेर    ~

हाँ, वो ही दर-ब-दर, कूँचा-बसर,
दुनिया से बे-परवाह ।

वो फ़ाक़ा-मस्त, मस्ताना,
न जाने क्यों लगा अच्छा ।।

दुनियादारी

मुश्किल अल्फ़ाज़:- दर-ब-दर = बे-घर-बार, बे-आसरा, Homeless; कूँचा-बसर = गलियों, सड़कों पर घूमने वाला, Street-wanderer; फ़ाक़ा-मस्त = भूखा रहकर भी ख़ुश रहने वाला, Happy without Food.

वाइज़ (धर्म-उपदेशक)

~     वाइज़ (धर्म-उपदेशक) - शेर    ~

ये वाइज़ कुछ नहीं है,
तो ज़माने-भर की आफ़त है ।

ख़ुदा जाने ये वाइज़ गर,
ख़ुदा होता तो क्या होता ।।

नास्तिकता और मानवता

मुश्किल अल्फ़ाज़:- वाइज़ - धर्म-उपदेशक, धर्माचार्य, एवं पण्डित, मौलवी, पादरी आदि, Priest etc.

Sunday, September 08, 2019

इश्क़-ए-"राही"

~     इश्क़-ए-राही* - शेर    ~

इक इश्क़ था हमारा, 
इक याद थी तुम्हारी।

मसरूफ़ थीं बहुत वो, 
जिन फ़ुरसतों से गुज़रे।।


मुश्किल अल्फ़ाज़:- इश्क़े-राही - यात्री का प्रेम, Love of a Travel etc.

कल

~    कल - शेर    ~

यार
तू कल बताना,
कैसा है ।

कल तलक 
मैं भी
तेरे जैसा था ।।

दुनियादारी

Saturday, September 07, 2019

नास्तिकता और मानवता

~     नास्तिकता और मानवता - शेर    ~

न जाए काफ़िरी* भी ज़िन्दगी भी
मज़हबी** कर ले ।

कोई इन्सान मिल जाए तो "राही"
बन्दगी कर ले ।।


मुश्किल अल्फ़ाज़:- काफ़िरी - नास्तिकता, Atheism; मज़हबी - धार्मिक, Religious.