Friday, May 01, 2020

RIP RISHI KAPOOR

(दो-Day)

~     Dो-Day     ~

Very Gray

RIP RISHI KAPOOR

RIP IRRFAN KHAN

~     RIP IRRFAN KHAN     ~

One of the best Role Masseurs
Who made the cinema mood
#Real & #Mast

Sunday, January 12, 2020

New Year Special Compositions - 2020


Compositions Published in
~     HUMOUR TIMES jest for fun     ~

Many Thanks to Respected Sir Brij Khandelwal
Editor of HUMOUR TIMES jest for fun.



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~     नया साल मुबारक 2020 - नज़्म     ~

तुम्हें लगता है गर अच्छा
तो नया साल मुबारक

~     क्या किया जाए ? - ग़ज़ल     ~

मैं भला हूँ, तू भला है, ये भला है, वो भला है।
क्या किया जाए ? भले हैं सब, ज़माना ही बुरा है।।



Last ⇓


~     ढीला इस्क्रू 💞 - नज़्म     ~

( आपके 'प्रिय' - और - आपकी 'प्रिय' - के लिए 👫 😇)

Tuesday, November 12, 2019

सर्कस

~     सर्कस     ~

तुम्हें हूँ अब भी मुन्तज़िर* तेरा,
हूँ दिल से आज भी बेबस
है दिल में आज भी पैकाँ*
है अब भी ज़िन्दगी सर्कस ।


मुश्किल अल्फ़ाज़:- मुन्तज़िर = प्रतीक्षारत, Expecting with Impatience; पैकाँ = तीर की नोक, Spike of Arrow;

Friday, September 27, 2019

तुम बिन

~     न जाने क्यों लगा अच्छा - शेर    ~

तुम बिन भी बादल घिरते हैं
और बुरा क्या होगा इससे

तुम बिन भी सावन आता है,
और बुरा क्या होगा इससे

कोसता हूँ बारिश को जितना,
और निगोड़ी होती है

आग लगाती है ये बारिश,
और बुरा क्या होगा इससे

Monday, September 16, 2019

न जाने क्यों लगा अच्छा

~     न जाने क्यों लगा अच्छा - शेर    ~

हाँ, वो ही दर-ब-दर, कूँचा-बसर,
दुनिया से बे-परवाह ।

वो फ़ाक़ा-मस्त, मस्ताना,
न जाने क्यों लगा अच्छा ।।

दुनियादारी

मुश्किल अल्फ़ाज़:- दर-ब-दर = बे-घर-बार, बे-आसरा, Homeless; कूँचा-बसर = गलियों, सड़कों पर घूमने वाला, Street-wanderer; फ़ाक़ा-मस्त = भूखा रहकर भी ख़ुश रहने वाला, Happy without Food.

वाइज़ (धर्म-उपदेशक)

~     वाइज़ (धर्म-उपदेशक) - शेर    ~

ये वाइज़ कुछ नहीं है,
तो ज़माने-भर की आफ़त है ।

ख़ुदा जाने ये वाइज़ गर,
ख़ुदा होता तो क्या होता ।।

नास्तिकता और मानवता

मुश्किल अल्फ़ाज़:- वाइज़ - धर्म-उपदेशक, धर्माचार्य, एवं पण्डित, मौलवी, पादरी आदि, Priest etc.